श्री गणेशाय नमः
या देवी सर्व भूतेषु ज्वाला रूपेण संस्थितः ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
जय जननी जगदम्बिके सदा नवाऊँ माथ।
कृपा तेरे चरणों की सदा रहे मेरे साथ।।
निवेदन:-
माँ ज्वाला उचेहरा वाली का महात्म लिखने के पूर्व श्री शंकर जी पार्वती नंदन प्रथम पूज्य बुद्धि के दाता श्री गणपति जी को शत-शत नमन करता हूँ एवं जगत जननी, सुखदायनी, दुःख हरनी, जिनके स्मरण मात्र से ह्रदय में दिव्य दृष्टि उतपन्न हो जाती है, निर्मल नेत्र खुल जाते है और संसार रूपी रात्रि के दोष-दुःख मिट जाते है। ऐसी श्रद्धा, विश्वास और आस्था की देवी माँ ज्वाला को सहस्त्रांग दंडवत प्रणाम करता हूँ। इस पुस्तक को पढ़ने वालों से विनम्र निवेदन है की मैं कोई लेखक या संपादक नहीं हूँ, मैं जो कुछ भी लिख रहा हूँ माँ ज्वाला उचेहरा वाली की प्रेरणा और आशीर्वाद से लिख रहा हूँ, इस पुस्तक को लिखने में भाषा एवं शब्दों में त्रुटियां हो सकती है, कृपया त्रुटियों के लिए क्षमा करें।
माँ ज्वाला उचेहरा वाली का यह मंदिर एवं स्थान पूर्णतः आस्था विश्वास और श्रद्धा का केंद्र है। समस्त भक्त जन माँ ज्वाला उचेहरा वाली के महात्म एवम स्थान को जानने के लिए अवश्य पढ़ें। जो भी भक्त इस पुस्तक को श्रद्धा विश्वास के साथ पढ़ेगा माँ ज्वाला उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेगी।
वर्ष:-2017
स्थान परिचय:- मध्य प्रदेश राज्य के उमरिया जिला अंतर्गत नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर उत्तर में राष्ट्रिय राजमार्ग क्रमांक 78 से 1 किमी. उत्तर में ग्राम उचेहरा के पूर्व दिशा में घोड़छत्र नदी के किनारे बांधवगढ़ के विकराल घने जंगल के बीच जगत जननी माँ ज्वाला जी का सुन्दर रमणीक मंदिर मौजूद है।
सुविचार : मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा बन जाता है।
प्रेम से बोलो जय माता दी।