माँ ज्वाला उचेहरा वाली का स्थान वैसे बहुत प्राचीन हैं जो ग्राम उचेहरा से पूर्व दिशा की ओर घोड़छत्र नदी के किनारे बांधवगढ़ के विकराल घने जंगल के बीच माँ ज्वाला विराजमान थीं।
बहुत समय से उचेहरा एवं आस-पास के ग्रामों के निवासी समय-समय पर इस स्थान पर पहुंच कर पूजन अर्चन किया करते थे। चैत्र नवरात्रि में जवारे स्थापित किये जाते थे माँ ज्वाला यंहा विलुप्त अवस्था में मौजूद थी। इसी स्थान पर अब से एक दशक पूर्व वर्ष 2006-07 में माँ ज्वाला जी के मंदिर का निर्माण उचेहरा ग्राम के निवासियों द्वारा किया गया।
कथानुसार:- उचेहरा ग्राम के निवासी श्री भंडारी सिंह माँ ज्वाला जी के अनन्य भक्त है, जो घोड़छत्र नदी के किनारे बाधवगढ़ के घने और विकराल जंगल में नित-प्रतिदिन सुबह शाम माँ ज्वाला जी की पूजा करने जाया करते थे। माँ ज्वाला उनकी भक्ति से अति प्रसन्न होकर एक दिन स्वप्न में आकर बोली, वत्स मैं तुम्हारी भक्ति से अति प्रसन्न हूँ, मांगों तुम्हें क्या चाहिए वत्स ? भंडारी जी ने सर्वप्रथम माँ ज्वाला जी को हाथ जोड़कर नमस्कार किये तथा बोले माँ मुझे धन दौलत और दुनिया की तमाम सुख सोहरत से कोई सरोकार नहीं हैं।
माँ आपका दर्शन पाकर मेरा जीवन धन्य हो गया, आपने दर्शन देकर मेरी भक्ति को पूर्ण कर दिया। माँ ने कहा, बेटा जो भक्त सच्चे दिल से मेरी भक्ति और सेवा करता हैं, मैं उसकी हर मनोकामना पूर्ण करती हूँ, भंडारी जी ने कहा माँ मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें ताकि मैं यूं ही आपकी भक्ति और सेवा ताउम्र करता रहूँ और वर दें माँ कि आप शक्ति रूप में हमारे बीच सैदव उपस्थित रहे, ताकि मेरी श्रद्धा और भक्ति में कोई कमी न आने पाये। माँ ज्वाला जी ने कहा ऐसा ही होगा।
घोड़छत्र नदी के किनारे उस करौंदा पेड़ के नीचे जंहा मैं आदिकाल से विलुप्त अवस्था में विराजमान थी, वँहा पर मेरा पुनः प्रादुर्भाव होगा। तुम इस स्थान पर माँ ज्वाला जी की एक मंदिर का निर्माण करवाओ और मेरी भक्ति इसी तरह निःस्वार्थ भाव से करते रहो तथा माँ ज्वाला शक्ति पीठ धाम का प्रचार प्रसार करो। आगे का मार्ग मैं स्वंय प्रशस्त करती रहूंगी।
भंडारी जी ने कहा माँ आपके आज्ञा का पालन इस भक्त द्वारा अवश्य होगा।
माँ ज्वाला ने कहा वत्स इस स्थान पर जो भक्त पूर्व श्रद्धा, विश्वास और सच्चे दिल से किसी भी प्रकार की मनोकामना करेगा, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। कोई भी भक्त इस स्थान से खाली हाथ नहीं लौटेगा। भंडारी जी ने माँ ज्वाला जी को हाथ जोड़कर प्रणाम कर कहा : आपकी लीला अपरम्पार है, माँ आपको शत शत नमन।
इसके पश्चात एक दिन भंडारी जी ने समस्त ग्रामवासियों को बुलाकर माँ ज्वाला जी द्वारा स्वप्न में बताई गई सारी बातों को बतायें तथा मंदिर निर्माण का प्रस्ताव रखा। सभी ग्रामवासी बहुत प्रसन्न हुए, और कहा हमें और हमारे ग्राम को धन्य करने वाली जगत जननी माँ ज्वाला जी के हर आज्ञा का पालन श्रद्धा, आस्था और पूर्ण लगन के साथ पूर्ण किया जाएगा।
इस प्रकार सभी के सहयोग से वर्ष 2006-07 में माँ ज्वाला जी के मंदिर का निर्माण कराया गया।
इसी स्थान पर एक विशाल महायज्ञ का आयोजन ग्रामवासियों द्वारा किया गया। यज्ञ के समय एक दिन संध्या को मंदिर में अजीव सी आवाज सुनाई पड़ी तथा एक दिव्य प्रकाश आया और करौंदा के पेड़ में समाहित हो गया’
उपस्थित पण्डा, पुजारी एवं ग्रामीण जनों को इसका दर्शन मिला। इसी दिन माँ ज्वाला का पुनः प्रादुर्भाव हुआ और इस स्थान का नाम इसी दिन से माँ ज्वाला शक्ति पीठ धाम उचेहरा के नाम से देश-दुनिया में विख्यात हुआ। तभी से इस स्थान पर जो भी भक्त पूर्ण आस्था विश्वास और सच्चे दिल से अपनी मनोकामना लेकर आता है, माँ उसकी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।
माँ ज्वाला धाम उचेहरा में आयोजित सभी धार्मिक कार्यों को सुचारू रूप से माँ ज्वाला सेवा समिति के अध्यक्ष और प्रमुख पुजारी महाराज श्री भंडारी सिंह जी के सानिध्य एवं दिशा निर्देशन में सेवादारों द्वारा पूर्ण किया जाता है।
“क्रोध के क्षण में धैर्य का एक पल दुःख के हजारों पलों से बचे रहने में हमारी सहायता करता हूँ।“